EPI Full Form (Environmental Performance Index)

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EPI Full Form

EPI Full Form in Hindi, EPI: Environmental Performance Index (पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक)

EPI का फुल फॉर्म है: “Environmental Performance Index” जिसका हिंदी अर्थ होता है: “पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक”. पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) किसी राज्य की नीतियों के पर्यावरण प्रदर्शन को आंकने का एक तरीका है। इस सूचकांक को पायलट पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक से विकसित किया गया था, जिसे पहली बार 2002 में प्रकाशित किया गया था. इसको बनाने का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स में उल्लिखित पर्यावरण लक्ष्यों को पूरा करना था.

EPI यानि पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI Full Form) से पहले ESI (ईएसआई) यानि पर्यावरणीय स्थिरता सूचकांक था. दोनों सूचकांक विश्व आर्थिक मंच और यूरोपीय आयोग के संयुक्त अनुसंधान केंद्र के सहयोग से येल विश्वविद्यालय (येल सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल लॉ एंड पॉलिसी) और कोलंबिया यूनिवर्सिटी (सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क) द्वारा विकसित किए गए थे।

EPI सूचकांक की महत्वपूर्ण बातें

  • इस सूचकांक (EPI Full Form) को येल विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है.
  • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक को ‘विश्व आर्थिक मंच’ (World Economic Forum- WEF) के सहयोग से भी तैयार किया जाता है.
  • EPI विश्व के अनेक देशों की सतत् स्थिति का आकलन विभिन्न आँकड़ों के आधार पर करता है.

EPI 2020 और भारत

भारत द्विवार्षिक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई इंडेक्स 2020) के 12वें संस्करण में 168वीं रैंक हासिल किया जिसमे 180 देशों के पर्यावरण प्रदर्शन को मापा गया. इसका परिणाम 4 जून, 2020 को येल विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया गया।

EPI 2020 यानि पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक- 2020 के इस सूचकांक को बनाने में 11 अलग-अलग मुद्दों से सम्बंधित 32 संकेतकों पर विचार किया गया. ये 11 मुद्दे निम्नलिखित हैं:

  • जैव विविधता और आवास (15%)
  • पारिस्थितिकी सेवाएँ (6%)
  • वायु गुणवत्ता (20%)
  • स्वच्छता और पेयजल (16%)
  • मत्स्यन (6%)

इसे भी पढ़ें: FPI का फुल फॉर्म क्या है?

  • जल संसाधन (3%)
  • जलवायु परिवर्तन (24%)
  • प्रदूषक उत्सर्जन (3%)
  • कृषि (3%)
  • अपशिष्ट प्रबंधन (2%)
  • भारी धातु (2%)

इसके साथ ही, इस सूचकांक ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय प्रदर्शन पर 10 वर्ष का अवलोकन किया है.

EPI 2020 सूचकांक में विश्व का प्रदर्शन

इस सूचकांक में डेनमार्क और लक्जमबर्ग को क्रमशः प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है. भारत के पड़ोसी देशों जैसे चीन को 120वाँ स्थान, पाकिस्तान को 142वाँ स्थान, श्रीलंका को 109वाँ स्थान, भूटान को 107वाँ स्थान, नेपाल को 145वाँ, बांग्लादेश को 162वाँ और मालदीव को 127वाँ स्थान प्राप्त हुआ है.

EPI 2020 सूचकांक में भारत का प्रदर्शन

इस बार के सूचकांक में भारत ने 180 देशों में से 168वाँ स्थान प्राप्त किया है जो किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं कहा जा सकता. 2018 में भी भारत की स्थिति अच्छी नहीं थी और भारत ने 100 में से 6 स्कोर के साथ 177वाँ स्थान प्राप्त किया था.

भारत जलवायु परिवर्तन के मामले में 106वें स्थान पर और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है. इस सूचकांक के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि भारत को वायु और जल की गुणवत्ता, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता तथा स्थिरता के मुद्दों पर व्यापक रूप से ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. अगर अफगानिस्तान को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी दक्षिण-एशियाई देश भारत से कहीं आगे हैं. साथ ही, सतत विकास लक्ष्यों के मामले में भी भारत का स्थान अन्य देशों की तुलना में पीछे है.

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