FEMA Full Form in Hindi, FEMA: Foreign Exchange Management Act (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम)
FEMA का फुल फॉर्म है “Foreign Exchange Management Act” जिसका हिंदी मतलब होता है “विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम”. आर्थिक उदारीकरण के युग में विदेशी विनिमय के कुशल प्रबन्ध की आवश्यकता महसूस की गई। इसके फलस्वरूप विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम, 1973 (फेरा) की समीक्षा की गई। आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए विश्व अर्थव्यवस्था में मजबूती के लिए विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम, 1973 (फेरा) में विदेशी विनिमय एवं विदेशी व्यापार से सम्बन्धित अनेक संशोधनों को कानूनी रुप दिया गया। प्रारम्भ में भारत सरकार ने (FERA) Foreign Exchange Regulation Act (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम) के पुनर्विचार का मन बनाया, परन्तु बाद में सरकार ने ‘फेरा’ को रद्द करके नया कानून बनाना अधिक अच्छा समझा.
इसके पश्चात केन्द्रीय सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया (RBI) से इस दिशा में एक नया अधिनियम (FEMA Full Form) लाने का अनुरोध किया। इस उद्देश्य के लिये एक कार्य-बल (Task Force) का गठन किया गया जिसने 1994 में तत्कालीन अधिनियम (फेरा) में पर्याप्त परिवर्तन की संस्तुति की। परिणामस्वरुप फेरा (FERA) को रद्द करने तथा उसका स्थान ग्रहण करने के लिये लोकसभा में 4 अगस्त, 1998 को एक विधेयक प्रस्तुत किया गया। जिसे “Foreign Exchange Management Act” (FEMA) या “विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम”के नाम से जानते हैं.
FEMA का उद्देश्य
FEMA: Foreign Exchange Management Act (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
FEMA विधेयक के प्रावधानों का मुख्य उद्देश्य है कि विदेशी-विनिमय से सम्बन्धित कानून को इस विचार से संघटित और संशोधित किया जाये जिससे कि निम्नलिखित फायदे हों:
- विदेशी व्यापार का सरलीकरण हो
- भारत का विदेशी विनिमय बाजार ठीक से चलता रहे तथा उसका व्यवस्थित विकास हो।
इसके पश्चात यह बिल (FEMA Full Form) वित्त की स्थायी समिति को भेजा गया जिसने कुछ संशोधनों एवं सुझावों के साथ अपना प्रतिवेदन 23 दिसम्बर, 1998 को लोकसभा के समक्ष प्रस्तुत किया। इस पर कोई निर्णय लेने से पूर्व 12वीं लोकसभा भंग हो गई और इसके परिणामस्वरूप यह विधेयक पारित न हो सका। तत्पश्चात् वित्त की स्थायी समिति के सुधारों एवं संशोधनों को सम्मिलित करने के पश्चात् 13वीं लोकसभा के वित्त मंत्री यशवन्त सिन्हा ने अक्टूबर, 1999 में यह बिल पेश किया, जिसे लोक-सभा ने 2 दिसम्बर 1999 को पारित कर दिया एवं इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई। इस प्रकार यह अधिनियम यानि FEMA: Foreign Exchange Management Act (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) 1 जून, 2000 से लागू है।
फेरा (FERA) और फेमा (FEMA) में अंतर (FERA vs. FEMA)
Difference between FERA and FEMA in Hindi
सन 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम (FERA)पारित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य विदेशी मुद्रा का सदुपयोग सुनिश्चित करना था. लेकिन यह कानून देश के विकास में बाधक बन गया था इस कारण दिसम्बर 1999 में संसद के दोनों सदनों द्वारा FEMA प्रस्तावित किया गया था. राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद 1999 में FEMA प्रभाव में आ गया.
फेरा (FERA) को फेमा (FEMA) में परिवर्तित करने का मुख्य कारण
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में विदशी मुद्रा बहुत ही सीमित मात्रा में होती थी. इस कारण सरकार देश में इसके आवागमन पर नजर रखती थी. सन 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम (FERA) पारित किया गया, जिसका मुख्य उद्येश्य विदेशी मुद्रा का सदुपयोग सुनिश्चित करना था. लेकिन यह कानून देश के विकास में बाधक बन गया था इस कारण सन 1997-98 के बजट में सरकार ने फेरा-1973 के स्थान पर फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) को लाने का प्रस्ताव रखा था. दिसम्बर 1999 में संसद के दोनों सदनों द्वारा फेमा (FEMA Full Form) पास किया गया था. राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद जून 1, 2000 को FEMA (फेमा) प्रभाव में आ गया था.
इसे भी पढ़ें: FAO का फुल फॉर्म क्या है? इसके फायदे क्या हैं?
आइये देखते हैं कि फेरा और फेमा में मुख्य रूप से क्या अंतर है:
FERA: Foreign Exchange Regulation Act (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम) | FEMA: Foreign Exchange Management Act (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) |
इसे संसद ने 1973 में मंजूरी दी थी | इसे संसद ने 1999 में मंजूरी दी थी |
यह वर्तमान में लागू नही है | यह वर्तमान में लागू है |
इसमें अनुभागों (sections) की संख्या 81 है | इसमें अनुभागों (sections) की संख्या 49 है |
इसे भारत में विदेशी भुगतानों पर नियंत्रण लगाने और विदेशी मुद्रा का सदुपयोग करने के लिया बनाया गया था. | इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी व्यापार और विदेशी भुगतानों को बढ़ावा देना और देश में विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाना है |
इसमें भारत का नागरिक उसी व्यक्ति को माना जाता था जो भारत का नागरिक हो. | इसमें भारत का नागरिक उस व्यक्ति को भी मान लिया जाता है जो 6 महीने से भारत में रह रहा हो. |
इसमें अपराध को क्रिमिनल अपराध की श्रेणी में रखा जाता था. | इसमें अपराध को दीवानी अपराध की श्रेणी में रखा जाता है |
इसके दोषी पाए जाने पर सीधे सजा का प्रावधान था. | इसमें दोषी पाए जाने पर सजा तभी होगी जबकि व्यक्ति नोटिस की तिथि से 90 दिन के भीतर निर्धारित अर्थदंड जमा न करे. |
इसके तहत मुकदमा दर्ज होते ही आरोपी दोषी माना जाता था और उसे ही यह साबित करना होता था कि वह दोषी नही है. | इसमें किसी गुनाह के सम्बन्ध में सबूत देने का बोझ आरोपी पर नही बल्कि फेमा लागू करने वाले अधिकारी पर होता है |
हम उम्मीद करते हैं कि उपरोक्त उत्तरों के आधार पर आप समझ गए होंगे कि फेरा और फेमा में क्या अंतर है और फेरा की जगह पर फेमा को क्यों लागू किया गया था?
Leave a Reply