FERA Full Form (Foreign Exchange Regulation Act)

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FERA Full Form

FERA Full Form in Hindi, FERA: Foreign Exchange Regulation Act (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम)

FERA का फुल फॉर्म है “Foreign Exchange Regulation Act” जिसका हिंदी मतलब होता है “विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम”. विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) 1973 में भारत में पारित एक कानून था जिसका मुख्य काम कुछ प्रकार के भुगतानों, विदेशी मुद्रा और प्रतिभूतियों में लेनदेन और विदेशी मुद्रा पर अप्रत्यक्ष प्रभाव वाले लेनदेन पर सख्त नियम लागू करना था. इसको (FERA Full Form) विदेशी मुद्रा के आयात और निर्यात, बिल भुगतान और विदेशी मुद्रा को विनियमित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था।

FERA का इतिहास

FERA यानि विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम 1 जनवरी, 1974 से प्रभावी हुआ। यह ऐसे समय में पेश किया गया था जब देश में विदेशी मुद्रा का भंडार बेहद कम था, विदेशी मुद्रा एक दुर्लभ वस्तु थी। इसलिए FERA इस अनुमान पर आगे बढ़ा कि भारतीय निवासियों द्वारा अर्जित सभी विदेशी मुद्रा भारत सरकार के अधिकार में रहेगी और इसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)  में एकत्र किया जायेगा। इसके परिणामस्वरूप कोका-कोला जो 1977 तक भारत का प्रमुख शीतल पेय था, जब एक नई सरकार द्वारा कंपनी को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) द्वारा आवश्यक के रूप में अपनी भारतीय इकाई में अपनी हिस्सेदारी को कम करने का आदेश दिया गया तो इस कंपनी ने भारत छोड़ दिया। 1993 में, कंपनी (पेप्सिको के साथ) भारत की उदारीकरण नीति की शुरुआत के बाद वापस लौट आई।

FERA का मुख्य काम

FERA (फेरा) कानून (FERA Full Form) का मुख्य कार्य विदेशी भुगतान पर नियंत्रण लगाना, पूँजी बाजार में काले धन पर नजर रखना, विदेशी मुद्रा के आयात और निर्यात पर नजर रखना और विदेशियों द्वारा अचल संपत्तियों की खरीद को नियंत्रित करना था. इस कानून को देश में तब लागू किया गया था जब देश का विदेशी पूँजी भंडार बहुत ही ख़राब हालत में था. इसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा के संरक्षण और अर्थव्यवस्था के विकास में उसका सही उपयोग करना था.

FEMA (फेमा) क्या है जिसने FERA(फेरा) का स्थान लिया है?

आर्थिक उदारीकरण के समय विदेशी विनिमय के कुशल प्रबन्ध की आवश्यकता महसूस की गई। इसके फलस्वरूप विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम, 1973 (फेरा) की समीक्षा की गई और आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए विश्व अर्थव्यवस्था में मजबूती के लिए विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम, 1973 (फेरा) में विदेशी विनिमय एवं विदेशी व्यापार से सम्बन्धित अनेक संशोधनों को कानूनी रुप दिया गया। प्रारम्भ में भारत सरकार ने (FERA) Foreign Exchange Regulation Act (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम) के पुनर्विचार का मन बनाया, परन्तु बाद में सरकार ने ‘फेरा’ (FERA Full Form) को रद्द करके नया कानून बनाना अधिक अच्छा समझा.

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इसके पश्चात केन्द्रीय सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया (RBI) से इस दिशा में एक नया अधिनियम लाने का अनुरोध किया। इस उद्देश्य के लिये एक कार्य-बल (Task Force) का गठन किया गया जिसने 1994 में तत्कालीन अधिनियम (फेरा) में पर्याप्त परिवर्तन की संस्तुति की। परिणामस्वरुप फेरा (FERA) को रद्द करने तथा उसका स्थान ग्रहण करने के लिये लोकसभा में 4 अगस्त, 1998 को एक विधेयक प्रस्तुत किया गया। जिसे “Foreign Exchange Management Act” (FEMA) या “विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम”के नाम से जानते हैं.

FEMA का महत्वपूर्ण काम

फेमा का महत्वपूर्ण लक्ष्य विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी कानूनों का संशोधन और एकीकरण करना है. इसके अलावा फेमा का लक्ष्य देश में विदेशी भुगतान और व्यापार को बढ़ावा देना, विदेशी पूँजी और निवेश को देश में बढ़ावा देना है ताकि औद्योगिक विकास और निर्यात को बढ़ाया जा सके. फेमा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के रखरखाव और सुधार को भी प्रोत्साहित करता है. फेमा भारत में रहने वाले हर एक व्यक्ति को पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है कि वह भारत के बाहर संपत्ति को खरीद सकता है, मालिक बन सकता है और उसका मालिकाना हक़ भी किसी और को भी दे सकता है.

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