Dussehra in Hindi (दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार)

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Dussehra in Hindi

Dussehra in Hindi / दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार/ दशहरा = दशहोरा = दसवीं तिथि।

दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष अश्विन (क्वार) माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। इसे विजयादशमी या आयुध-पूजा/शस्त्र पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था।

दशहरा (Dussehra in Hindi) को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दिन को अर्थात अश्विन माह की दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक माना जाता है, अन्य दो तिथियाँ हैं चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तथा कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा।

दशहरा एक विजय पर्व है

दशहरे का पर्व एक शक्ति तथा शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिन माँ जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। दशहरे का आयोजन इसी शक्ति के उत्सव के रूप में होता है। भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। देश के प्रत्येक व्यक्ति और समाज के रुधिर में वीरता का प्रादुर्भाव हो, इसी कारण से दशहरे का उत्सव मनाया जाता है। यदि कभी युद्ध अनिवार्य ही हो तब शत्रु के आक्रमण की प्रतीक्षा ना कर उस पर हमला कर उसका पराभव करना ही कुशल राजनीति है। भगवान राम के समय से यह दिन विजय प्रस्थान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम ने रावण से निर्णायक युद्ध हेतु आज ही के दिन प्रस्थान किया था और उसका वध किया था। मराठा रत्न शिवाजी ने भी औरंगजेब के विरुद्ध दशहरे के दिन ही प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का रक्षण किया था। भारतीय इतिहास में अनेक उदाहरण हैं जब हिन्दू राजा इस दिन विजय-प्रस्थान करते थे।

दशहरे को विजयादशमी क्यों कहा जाता है? (Why Dussehra is called VijayDashmi in Hindi)?

दशहरे के पर्व को माँ भगवती के ‘विजया’ नाम पर ‘विजयादशमी’ कहा जाता है। इस दिन भगवान रामचंद्र जी ने चौदह वर्ष का वनवास भोगकर रावण को युद्ध में परास्त किया था तथा उसका वध किया था। इसलिए भी इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए। इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग और भी अधिक शुभ माना गया है।

विजयादशमी और शमी वृक्ष पूजा

महाभारत के प्रसंग के अनुसार, दुर्योधन ने पांडवों को जुए में पराजित करके बारह वर्ष के वनवास के साथ तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त दी थी। शर्त के अनुसार तेरहवें वर्ष में यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर टांग रखा था तथा स्वयं वृहन्नला के वेश में राजा विराट के यहाँ नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए विराट के पुत्र धृष्टद्युम्न ने अर्जुन को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी।

दूसरे प्रसंग के अनुसार, विजयादशमी के दिन ही भगवान रामचंद्रजी ने रावण का वध करने के लिए प्रस्थान किया था। इस समय शमी वृक्ष ने भगवान श्रीराम की विजय का उद्घोष किया था। यही कारन है कि विजयकाल में शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है।

विजयदशमी और शस्त्र पूजा (VijayDashmi aur Shastra Pooja)

दशहरे (Dussehra in Hindi) के दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं तथा कोई नया कार्य प्रारम्भ करते हैं जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय अवश्य मिलती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है।

दशहरा (Dussehra in Hindi) अथवा विजयादशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा माँ दुर्गा की पूजा और  महिषासुर विजय के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है।

भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।

दशहरे का महत्त्व (Importance of Dussehra in Hindi)

दशहरे का त्यौहार सिर्फ एक उत्सव या शस्त्र पूजा की तिथि भर नहीं है बल्कि इसका एक सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है, तो उसके उल्लास और उमंग का पारावार नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। समस्त भारतवर्ष में यह पर्व विभिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न रूपों में मनाया जाता है।

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महाराष्ट्र में इस अवसर पर ‘सिलंगण’ के नाम से सामाजिक उत्सव मनाया जाता है। सायंकाल के समय सभी ग्रामवासी सुंदर-सुंदर नव वस्त्रों से सुसज्जित होकर गाँव की सीमा पार कर शमी वृक्ष के पत्तों के रूप में ‘स्वर्ण’ लूटकर अपने ग्राम में वापस आते हैं। फिर उस स्वर्ण का परस्पर आदान-प्रदान किया जाता है।

दशहरे का महत्त्व के बारे में विस्तार से पढ़ें

भारत के विभिन्न प्रदेशों का दशहरा (Dussehra Festival of India’s different states)

दशहरा (Dussehra in Hindi) अथवा विजयादशमी राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह आदिशक्ति पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाया जाता है, बल्कि यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता जहां प्रवासी भारतीय रहते हैं।

1. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा (Kullu Ka Dussehra)

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है। अन्य स्थानों की ही भाँति यहाँ भी दस दिन अथवा एक सप्ताह पूर्व इस पर्व की तैयारी आरंभ हो जाती है। स्त्रियाँ और पुरुष सभी सुंदर वस्त्रों से सज्जित होकर तुरही, बिगुल, ढोल, नगाड़े, बाँसुरी आदि जिसके पास जो वाद्य होता है, उसे लेकर बाहर निकलते हैं। पहाड़ी लोग अपने ग्रामीण देवता का धूम धाम से जुलूस निकाल कर पूजन करते हैं। देवताओं की मूर्तियों को बहुत ही आकर्षक पालकी में सुंदर ढंग से सजाया जाता है। साथ ही वे अपने मुख्य देवता रघुनाथ जी की भी पूजा करते हैं। इस जुलूस में प्रशिक्षित नर्तक, नटी नृत्य करते हैं। इस प्रकार जुलूस बनाकर नगर के मुख्य भागों से होते हुए नगर परिक्रमा करते हैं और कुल्लू नगर में देवता रघुनाथजी की वंदना से दशहरे के उत्सव का आरंभ करते हैं। दशमी के दिन इस उत्सव की शोभा निराली होती है।

2. पंजाब का दशहरा (Punjab Ka Dussehra)

पंजाब में दशहरा नवरात्रि के नौ दिन का उपवास रखकर मनाते हैं। इस दौरान यहां आगंतुकों का स्वागत पारंपरिक मिठाई और उपहारों से किया जाता है। यहां भी रावण-दहन के आयोजन होते हैं, व मैदानों में मेले लगते हैं। Dussehra in Hindi

3. छत्तीसगढ़ का दशहरा (Chhatisgarh ke Bastar ka Dussehra)

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में दशहरे का मुख्य कारण राम की रावण पर विजय ना मानकर, लोग इसे मां दंतेश्वरी की आराधना को समर्पित एक पर्व मानते हैं। दंतेश्वरी माता बस्तर अंचल के निवासियों की आराध्य देवी हैं, जो दुर्गा का ही रूप हैं। यहां यह पर्व पूरे 75 दिन चलता है। यहां दशहरा श्रावण मास की अमावस्या से आश्विन मास की शुक्ल त्रयोदशी तक चलता है। प्रथम दिन जिसे काछिन गादि कहते हैं, देवी से समारोहारंभ की अनुमति ली जाती है। देवी एक कांटों की सेज पर विरजमान होती हैं, जिसे काछिन गादि कहते हैं। यह कन्या एक अनुसूचित जाति की है, जिससे बस्तर के राजपरिवार के व्यक्ति अनुमति लेते हैं। यह समारोह लगभग 15वीं शताब्दी से शुरु हुआ था। इसके बाद जोगी-बिठाई होती है, इसके बाद भीतर रैनी (विजयदशमी) और बाहर रैनी (रथ-यात्रा) और अंत में मुरिया दरबार होता है। इसका समापन अश्विन शुक्ल त्रयोदशी को ओहाड़ी पर्व से होता है।

4. बंगाल, ओडिशा और असम (Bengal, Orissa aur Assam ka Dussehra) 

बंगाल, ओडिशा और असम में दशहरे का यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में ही मनाया जाता है। यह बंगालियों, उड़िया और असम के लोगों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बंगाल में पांच दिनों के लिए मनाया जाता है। ओडिशा और असम मे 4 दिन तक त्योहार चलता है। यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों में विराजमान करते हैं। देश के नामी कलाकारों को बुलवा कर माँ दुर्गा की मूर्ति तैयार करवाई जाती हैं। इसके साथ अन्य देवी द्वेवताओं की भी कई मूर्तियां बनाई जाती हैं। त्योहार के दौरान शहर में छोटे मोटे स्टाल भी मिठाईयों से भरे रहते हैं। यहां षष्ठी के दिन दुर्गा देवी का बोधन, आमंत्रण एवं प्राण प्रतिष्ठा आदि का आयोजन किया जाता है। उसके उपरांत सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी के दिन प्रातः और सायंकाल दुर्गा की पूजा में व्यतीत होते हैं। अष्टमी के दिन महापूजा और बलि भी दी जाति है। दशमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। प्रसाद चढ़ाया जाता है और प्रसाद वितरण किया जाता है। पुरुष आपस में आलिंगन करते हैं, जिसे कोलाकुली कहते हैं। स्त्रियां देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाती हैं, व देवी को अश्रुपूरित विदाई देती हैं। इसके साथ ही वे आपस में भी सिंदूर लगाती हैं, व सिंदूर से खेलती हैं। इस दिन यहां नीलकंठ पक्षी को देखना बहुत ही शुभ माना जाता है। तदनंतर देवी प्रतिमाओं को बड़े-बड़े ट्रकों में भर कर विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। विसर्जन की यह यात्रा भी बड़ी शोभनीय और दर्शनीय होती है।

5. उत्तरप्रदेश में दशहरे का त्यौहार (Dussehra Festival in Uttarpradesh)

उत्तरप्रदेश में दशहरा (Dussehra in Hindi) परम्परागत तरीके से मनाया जाता है। यहाँ पर देवी दुर्गा की पूजा अर्चना के साथ-साथ विजयादशमी के दिन रावण दहन का आयोजन भी किया जाता है। सहारनपुर उत्तर प्रदेश मे शाकम्भरी देवी शक्तिपीठ पर भक्तों की इस दिन खूब चहल पहल होती है पूरी शिवालिक घाटी शाकम्भरी देवी के जयकारो से गूंज उठती है। यहाँ पर नवरात्रि मे भारी मेला लगता है आश्विन का मेला यहाँ बहुत बड़ा होता है जहाँ कई किलोमीटर लंबी लाइन लगती है। ठीक इसी तरह विंध्यांचल के देवी मंदिर पर भी बहुत भीड़ होती है।

6. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक का दशहरा (Dussehra in Southern India)

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में दशहरा 9 दिनों तक चलता है जिसमें तीन देवियां लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा करते हैं। पहले तीन दिन लक्ष्मी जो धन और समृद्धि की देवी हैं उनका पूजन करते हैं। अगले तीन दिन सरस्वती जो कला और विद्या की देवी हैं उनका पूजन अर्चन किया जाता है और अंतिम तीन दिन देवी दुर्गा जो शक्ति की देवी हैं उनकी स्तुति की जाती है। पूजन स्थल को अच्छी तरह फूलों और दीपकों से सजाया जाता है। लोग एक दूसरे को मिठाइयां व कपड़े देते हैं। यहां दशहरा बच्चों के लिए शिक्षा या कला संबंधी नया कार्य सीखने के लिए शुभ समय होता है।

कर्नाटक में मैसूर का दशहरा भी पूरे भारत में प्रसिद्ध है। मैसूर में दशहरे के समय पूरे शहर की गलियों को रोशनी से सज्जित किया जाता है और हाथियों का श्रृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीपमालिकाओं से दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके साथ शहर में लोग टार्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभायात्रा का आनंद लेते हैं।

सबसे ख़ास बात यह है कि इन द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है।

7. गुजरात का दशहरा (Dussehra of Gujrat)

गुजरात में मिट्टी का सुशोभित रंगीन घड़ा देवी का प्रतीक माना जाता है और इसको कुंवारी लड़कियां सिर पर रखकर एक लोकप्रिय नृत्य करती हैं जिसे गरबा कहा जाता है। गरबा नृत्य इस पर्व की शान है। पुरुष एवं स्त्रियां दो छोटे रंगीन डंडों को संगीत की लय पर आपस में बजाते हुए घूम घूम कर नृत्य करते हैं। इस अवसर पर भक्ति, फिल्म तथा पारंपरिक लोक-संगीत सभी का समायोजन होता है। पूजा और आरती के बाद डांडिया रास का आयोजन पूरी रात होता रहता है। नवरात्रि में सोने और गहनों की खरीद को शुभ माना जाता है।

8. महाराष्ट्र का दशहरा (Dussehra of Maharashtra)

महाराष्ट्र में नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित रहते हैं, जबकि दसवें दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की वंदना की जाती है। इस दिन विद्यालय जाने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई में आशीर्वाद पाने के लिए मां सरस्वती के तांत्रिक चिह्नों की पूजा करते हैं। किसी भी चीज को प्रारंभ करने के लिए खासकर विद्या आरंभ करने के लिए यह दिन काफी शुभ माना जाता है। महाराष्ट्र के लोग इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश एवं नये घर खरीदने का शुभ मुहूर्त समझते हैं।

9. जम्मू कश्मीर का दशहरा (Dussehra of Jammu & Kashmir)

कश्मीर के अल्पसंख्यक हिन्दू नवरात्रि के पर्व को श्रद्धा से मनाते हैं। परिवार के सारे वयस्क सदस्य नौ दिनों तक सिर्फ पानी पीकर या फल खाकर उपवास करते हैं। अत्यंत पुरानी परंपरा के अनुसार नौ दिनों तक लोग माता खीर भवानी के दर्शन करने के लिए जाते हैं। यह मंदिर एक झील के बीचोबीच बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि देवी ने अपने भक्तों से कहा हुआ है कि यदि कोई अनहोनी होने वाली होगी तो सरोवर का पानी काला हो जाएगा। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के ठीक एक दिन पहले और भारत पाक युद्ध के पहले यहाँ का पानी सचमुच काला हो गया था। Dussehra in Hindi

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