Gadya kise kahte hai/ Prose in Hindi
हिंदी साहित्य रचना की दो विधाएं हैं गद्य और पद्य। गद्य विधा के अंतर्गत कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, संस्मरण, व्यंग्य, आत्मकथा, पत्र वगैरह लिखे जाते हैं। वहीं पद्य के अंतर्गत कविता, गीत, गाना, मुक्तक आदि आता है। मूलतः गद्य में अलंकारों का प्रयोग नहीं होता है, लेकिन पद्य में अलंकारों का खूब होता है। सामान्य भाषा में कहा जाए तो अलंकार पद्य का गहना माना जाता है। गद्य विधा की रचनाओं को हम सीधा-सपाट पढ़ सकते हैं, क्योंकि उनमें लयात्मकता नहीं होती है। इसके ठीक विपरीत पद्य विधा की रचनाओं में लयात्मकता होती है। ऐसी रचनाएं गेय होती हैं जिनको हम सुर के साथ गा सकते हैं।
दरअसल, गद्य हमारे विचारों से ताल्लुक रखता है, वहीं पद्य हमारे मनोभावों से। दूसरे शब्दों में कहें तो पद्य का संबंध मन से है, जबकि गद्य का मस्तिष्क से। आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि पद्य लेखन की शुरूआत गद्य लेखन से काफी पहले हो गयी थी। वेद, पुराणों से लेकर रामायण, महाभारत तक सभी पुरातन रचनाएं पद्य विधा में ही हैं। Gadya kise kahte hai
गद्य की परिभाषा (Gadya ki Paribhasha) (Prose definition in Hindi)
एक ऐसी रचना जो छंद, ताल, लय एवं तुकबंदी से मुक्त तथा विचारपूर्ण हो, उसे गद्य कहते हैं। गद्य शब्द गद् धातु के साथ यत प्रत्यय जोड़ने से बना है। गद का अर्थ होता है बोलना, बतलाना या कहना। सामान्यत: दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली बोलचाल की भाषा में गद्य का ही प्रयोग किया जाता है। गद्य का लक्ष्य विचारों या भाव को सहज, सरल एवं सामान्य भाषा में विशेष प्रयोजन सहित संप्रेषित करना है। ज्ञान विज्ञान से लेकर कथा साहित्य आदि के अभिव्यक्ति का माध्यम तथा साधारण व्यवहार की भाषा गद्य ही है, जिसका प्रयोग सोचने, समझने, वर्णन, विवेचन आदि के लिए होता है। वक्ता जो कुछ भी सोचता है, उसे वह गद्य के रूप में ही बोल के सबके सामने लाता है। ज्ञान विज्ञान की समृद्धि के साथ ही गद्य की उपादेयता और महत्ता में भी वृद्धि होती जा रही है।
किसी लेखक या विचारक के भाव को समझने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है और गद्य ज्ञान वृद्धि का एक सफल साधन है. इसलिए इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, धर्म, दर्शन आदि के क्षेत्र में ही नहीं अपितु नाटक और कथा साहित्य आदि के क्षेत्र में भी गद्य का ही प्रभाव स्थापित हो गया है।
यदि विचार पूर्वक देखा जाए तो आधुनिक हिंदी साहित्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना गद्य का आविष्कार ही है और गद्य का विकास होने पर ही हमारे साहित्य की बहुमुखी उन्नति संभव हो सकी है।
हिंदी गद्य के संबंध में यह धारणा है कि मेरठ और दिल्ली के आसपास बोली जाने वाली खड़ी बोली के साहित्यिक रूप को ही हिंदी गद्य कहा जाता है। भाषा विज्ञान की दृष्टि से ब्रजभाषा, खड़ी बोली, कन्नौजी, हरियाणवी, बुंदेलखंडी, अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी इन 8 गोलियों को ही हिंदी गद्य के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है। हिंदी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग हमें राजस्थानी एवं ब्रजभाषा में मिलते हैं। Gadya kise kahte hai
गद्य और पद्य में अंतर (Gadya aur Padya me antar) Difference between Prose and Poetry in Hindi
हिंदी साहित्य को दो भागों में बांटा गया है: गद्य साहित्य तथा पद्य या काव्य साहित्य।
विषय की दृष्टि से गद्य और पद्य में यह अंतर है कि गद्य के विषय विचारप्रधान होते हैं जबकि काव्य के विषय भावप्रधान होते हैं। दूसरी भाषाओं के समान ही हिंदी भाषा के साहित्य में भी पद्य की शुरुवात गद्य से बहुत पहले हो गयी थी.
गद्य और पद्य के मध्य अंतर को इस प्रकार समझा जा सकता है:
गद्य (Prose in Hindi)
वाक्यों में बँधी ऐसी रचना, जो विचार प्रधान हो गद्य कहलाती है । गद्य में बिना चमत्कार या अतिरिक्त प्रयास के हमारी चेष्टाएँ, हमारे मनोभाव, हमारी कल्पनाएँ, हमारी चिन्तनशील मनः स्थितियाँ सुगमतापूर्वक, सहज- स्वाभाविक रूप से व्यक्त की जाती हैं। गद्य में बुद्धि तत्व की प्रधानता होती है। इसमें चिंतन-मनन, तर्क-वितर्क, ,विवेचना आदि की प्रधानता होती हैं।
पद्य (Poetry in Hindi)
छंदवद्ध या छंदमुक्त ऐसी संगीतात्मकता युक्त रचना, जिसमें भाव एवं कल्पना की प्रधानता हो, पद्य कहलाती है। पद्य में हृदय तत्व की प्रधानता होती है। पद्य में रसानुभूति, अनुभूति की तीब्रता, विचारों, भावों और कल्पना की सृजनात्मकता के सौन्दर्य का समावेश होता है। Gadya kise kahte hai
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