Apathit Hindi Gadyansh-2 / परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण अपठित हिंदी गद्यांश-2
चंदन के पेड़ पर विषैले सांप लिपटे रहते हैं पर चंदन विषैला नहीं होता। वह किसी भी स्थिति में अपनी शीतलता और सुगंध को नहीं छोड़ता है। इसी तरह जो व्यक्ति सदगुण संपन्न होते हैं, सदाचारी होते हैं, जनहित ही जिनके जीवन का लक्ष्य होता है, वे महान पुरुष होते हैं महात्मा होते हैं। दुष्टों के निरंतर संसर्ग और संपर्क में रहते हुए भी उनके चरित्र और स्वभाव पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। उनके स्वभाव में कोई विकृति नहीं आ पाती। चंदन की भांति दुष्ट प्रवृत्तियों के बीच में रहते हुए भी समाज के संतापों को अपनी शीतलता से हटाते रहते हैं। अपने गुणों की महक से वातावरण को पवित्र बनाए रखते हैं। दुष्टों के प्रति निस्संग और निर्लिप्त रहकर भी अपने कार्य करते रहते हैं।
संगत का गुप्त प्रभाव हमारे आचरण पर बड़ा भारी पड़ता है, यह उक्ति सामान्य व्यक्तियों के लिए कही गई है। चंदन जैसे व्यक्तित्व और चरित्र वाले दृढ़ और उदात्त स्वभाव वाले महापुरुषों पर यह बात लागू नहीं होती। वे लोग कुसंगति के प्रभाव से बहुत ऊपर उठ चुके होते हैं। वह प्रभाव उनहे छू भी नहीं पाता है.
यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है, वह यह कि चंदन का वृक्ष अपने अंगों से लिपटे हुए विषधरों के प्रति कभी कोई कटु प्रतिक्रिया नहीं करता. उसी तरह से वह महान लोग भी दुष्टों के प्रति कोई घृणा द्वेष या आक्रोश व्यक्त नहीं करते और ना ही वह उन्हें दंड देने की चेष्टा करते हैं. बस चंदन के वृक्ष की तरह उनकी दुष्टता की उपेक्षा करते हुए समाज हित में लगे रहते हैं। Apathit Hindi Gadyansh-2
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उपर्युक्त गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्न
प्रश्न 1: दुष्टों के प्रति सदगुण संपन्न लोगों का व्यवहार कैसा होता है?
प्रश्न 2: संगति का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर कैसा पड़ता है?
प्रश्न 3: सदगुण संपन्न व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा होता है?
प्रश्न 4: महापुरुष तथा अष्टाध्याई का समास विग्रह कर समास का भेद बताइए?
प्रश्न 5: गद्यांश का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए?
उपर्युक्त गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर
उत्तर 1: सदगुण संपन्न लोग दुष्टों के प्रति कोई घृणा द्वेष से आक्रोश व्यक्त नहीं करते और ना ही वे उनको दंड देने की चेष्टा करते हैं।
उत्तर 2: संगत का मनुष्य के जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। जैसी मनुष्य की संगत होती है वैसा ही वह आचरण करता है।
उत्तर 3: सदगुण संपन्न व्यक्ति का व्यक्तित्व शांत, धैर्यशील, और चंदन के समान शीतल होता है, जिस पर कुसंगति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
उत्तर 4: महापुरुष तथा अष्टाध्याई का समास विग्रह
महापुरुष: महान है जो पुरुष (कर्मधारय समास)
अष्टाध्यायी: 8 अध्यायों का समूह (द्विगु समास)
उत्तर 5: प्रस्तुत गद्यांश का केंद्रीय भाव सद्गुणी व्यक्तियों के स्वभाव पर प्रकाश डालना है।
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