Subhadra Kumari Chauhan Kavita (सुभद्रा कुमारी चौहान का कविता संग्रह)

Ad:

http://www.hindisarkariresult.com/subhadra-kumari-chauhan/

Subhadra Kumari Chauhan Kavita

सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) का जन्म नागपंचमी के दिन, 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के पास निहालपुर गाँव में एक जमींदार परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘ठाकुर रामनाथ सिंह’ था। सुभद्रा कुमारी चौहान, चार बहने और दो भाई थे। इनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे और उन्हीं की देख-रेख में इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई। सुभद्रा कुमारी चौहान का विद्यार्थी जीवन प्रयाग में बीता। ‘क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज’ में इन्होने शिक्षा प्राप्त की।

Subhadra Kumari Chauhan Kavita

कई बार किसी कवि की कोई कविता इतनी अधिक लोकप्रिय हो जाती है कि शेष कविताई प्रायः गौण होकर रह जाती है। बच्चन की ‘मधुशाला’ और सुभद्रा जी की “झाँसी की रानी” कविता के साथ यही हुआ। यदि केवल लोकप्रियता की दृष्टि से ही देखें तो उनकी कविता संग्रह ‘मुकुल’ (1930 में प्रकाशित) के छह संस्करण उनके जीवन काल में ही हो जाना कोई सामान्य बात नहीं थी।

  • इनका पहला काव्य-संग्रह ‘मुकुल’ 1930 में प्रकाशित हुआ।
  • इनकी चुनी हुई कविताएँ ‘त्रिधारा’ में प्रकाशित हुई हैं।
  • त्रिधारा, ‘मुकुल’ (कविता-संग्रह), ‘बिखरे मोती’ (कहानी संग्रह), ‘झांसी की रानी’ सुभद्रा कुमारी चौहान की बहुचर्चित रचनाएं हैं.

सुभद्रा कुमारी चौहान का सम्पूर्ण जीवन परिचय पढ़ें

सुभद्राकुमारी चौहान की कुछ प्रतिनिधि कवितायेँ

झांसी की रानी   आराधना इसका रोना  
उपेक्षा   उल्लास   कलह-कारण  
कोयल   कठिन प्रयत्नों से सामग्री   खिलौनेवाला  
गिरफ़्तार होने वाले हैं   चलते समय   चिंता  
जलियाँवाला बाग में बसंत   जीवन-फूल   अनोखा दान  
झाँसी की रानी की समाधि पर   झिलमिल तारे   ठुकरा दो या प्यार करो  
तुम   तुम मानिनि राधे   तुम मुझे पूछते हो  
नीम   परिचय   पानी और धूप  
पूछो   प्रथम दर्शन   प्रतीक्षा  
प्रभु तुम मेरे मन की जानो   प्रियतम से   फूल के प्रति  
बालिका का परिचय   बिदाई   भैया कृष्ण!  
भ्रम   मधुमय प्याली   मुरझाया फूल  
मातृ-मन्दिर में   मेरा गीत   मेरा जीवन  
मेरा नया बचपन   मेरी टेक   मेरी कविता  
मेरे पथिक   यह कदम्ब का पेड़   मेरे भोले सरल हृदय ने  
यह मुरझाया हुआ फूल है   राखी   राखी की चुनौती  
विजयी मयूर   विदा   वीरों का कैसा हो वसंत  
वेदना   व्याकुल चाह   सभा का खेल  
समर्पण   साध   साक़ी  
स्मृतियाँ   स्वदेश के प्रति   हे काले-काले बादल  

Ad:

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.