Jeevan deep Kavita (जीवन दीप कविता)- महादेवी वर्मा

Jeevan deep Kavita, जीवन दीप, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है.

किन उपकरणों का दीपक,
किसका जलता है तेल?
किसकि वर्त्ति, कौन करता
इसका ज्वाला से मेल?

शून्य काल के पुलिनों पर-
जाकर चुपके से मौन,
इसे बहा जाता लहरों में
वह रहस्यमय कौन?

Jeevan deep Kavita

कुहरे सा धुँधला भविष्य है,
है अतीत तम घोर ;
कौन बता देगा जाता यह
किस असीम की ओर?

पावस की निशि में जुगनू का-
ज्यों आलोक-प्रसार।
इस आभा में लगता तम का
और गहन विस्तार।

इन उत्ताल तरंगों पर सह-
झंझा के आघात,
जलना ही रहस्य है बुझना –
है नैसर्गिक बात !

महादेवी वर्मा की कुछ प्रसिद्द प्रतिनिधि कवितायें

निम्नलिखित कवितायेँ महादेवी वर्मा की प्रसिद्द प्रतिनिधि कवितायेँ हैं.

अलि! मैं कण-कण को जान चली   जब यह दीप थके   पूछता क्यों शेष कितनी रात?  
यह मंदिर का दीप   जो तुम आ जाते एक बार कौन तुम मेरे हृदय में  
मिटने का अधिकारमधुर-मधुर मेरे दीपक जल! जाने किस जीवन की सुधि ले
नीर भरी दुख की बदली   तेरी सुधि बिन   तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या!
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ जाग तुझको दूर जाना   मैं प्रिय पहचानी नहीं  
जीवन विरह का जलजात   मैं बनी मधुमास आली! मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
बताता जा रे अभिमानी!   मेरा सजल मुख देख लेते! मैं नीर भरी दुख की बदली!
अधिकार   प्रिय चिरन्तन है   अश्रु यह पानी नहीं है  
स्वप्न से किसने जगाया?   धूप सा तन दीप सी मैं   अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी  
मैं अनंत पथ में लिखती जो   जो मुखरित कर जाती थीं क्यों इन तारों को उलझाते?
वे मधुदिन जिनकी स्मृतियों की   अलि अब सपने की बात   सजनि कौन तम में परिचित सा  
क्या जलने की रीत   किसी का दीप निष्ठुर हूँ तम में बनकर दीप  
जीवन दीप   दीपक अब रजनी जाती रे सजनि दीपक बार ले  
फूल   क्या पूजन क्या अर्चन रे!   दीप मेरे जल अकम्पित  
तितली से   बया हमारी चिड़िया रानी आओ प्यारे तारो आओ  
ठाकुर जी भोले हैं   कोयल  

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!