Mera sajal mukh Kavita (मेरा सजल मुख देख लेते! कविता)- महादेवी वर्मा

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Mera sajal mukh Kavita, मेरा सजल मुख देख लेते!, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है.

मेरा सजल मुख देख लेते!
यह करुण मुख देख लेता!

सेतु शूलों का बना बाँधा विरह-वारीश का जल
फूल की पलकें बनाकर प्यालियाँ बाँटा हलाहल!

दुखमय सुख
सुख भरा दुःख
कौन लेता पूछ, जो तुम,
ज्वाल-जल का देश देते!

नयन की नीलम-तुला पर मोतियों से प्यार तोला,
कर रहा व्यापार कब से मृत्यु से यह प्राण भोला!

भ्रान्तिमय कण
श्रान्तिमय क्षण-
थे मुझे वरदान, जो तुम
माँग ममता शेष लेते!

पद चले, जीवन चला, पलकें चली, स्पन्दन रही चल
किन्तु चलता जा रहा मेरा क्षितिज भी दूर धूमिल ।

अंग अलसित
प्राण विजड़ित
मानती जय, जो तुम्हीं
हँस हार आज अनेक देते!

Mera sajal mukh Kavita

घुल गई इन आँसुओं में देव, जाने कौन हाला,
झूमता है विश्व पी-पी घूमती नक्षत्र-माला;

साध है तुम
बन सघन तुम
सुरँग अवगुण्ठन उठा,
गिन आँसुओं की रख लेते!

शिथिल चरणों के थकित इन नूपुरों की करुण रुनझून
विरह की इतिहास कहती, जो कभी पाते सुभग सुन;

चपल पद धर
आ अचल उर!
वार देते मुक्ति, खो
निर्वारण का सन्देश देते!

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महादेवी वर्मा की कुछ प्रसिद्द प्रतिनिधि कवितायें

निम्नलिखित कवितायेँ महादेवी वर्मा की प्रसिद्द प्रतिनिधि कवितायेँ हैं.

अलि! मैं कण-कण को जान चली   जब यह दीप थके   पूछता क्यों शेष कितनी रात?  
यह मंदिर का दीप   जो तुम आ जाते एक बार कौन तुम मेरे हृदय में  
मिटने का अधिकारमधुर-मधुर मेरे दीपक जल! जाने किस जीवन की सुधि ले
नीर भरी दुख की बदली   तेरी सुधि बिन   तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या!
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ जाग तुझको दूर जाना   मैं प्रिय पहचानी नहीं  
जीवन विरह का जलजात   मैं बनी मधुमास आली! मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
बताता जा रे अभिमानी!   मेरा सजल मुख देख लेते! मैं नीर भरी दुख की बदली!
अधिकार   प्रिय चिरन्तन है   अश्रु यह पानी नहीं है  
स्वप्न से किसने जगाया?   धूप सा तन दीप सी मैं   अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी  
मैं अनंत पथ में लिखती जो   जो मुखरित कर जाती थीं क्यों इन तारों को उलझाते?
वे मधुदिन जिनकी स्मृतियों की   अलि अब सपने की बात   सजनि कौन तम में परिचित सा  
क्या जलने की रीत   किसी का दीप निष्ठुर हूँ तम में बनकर दीप  
जीवन दीप   दीपक अब रजनी जाती रे सजनि दीपक बार ले  
फूल   क्या पूजन क्या अर्चन रे!   दीप मेरे जल अकम्पित  
तितली से   बया हमारी चिड़िया रानी आओ प्यारे तारो आओ  
ठाकुर जी भोले हैं   कोयल  

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