How Ponty Chaddha Lost his Hand (10 पैसे से 10000 करोड़ तक)

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How Ponty Chaddha Lost his Hand

How Ponty Chaddha Lost his Hand / 10 पैसे से 10000 करोड़ तक का शानदार सफ़र

मैं पोंटी चड्ढा का सम्मान करता हूँ 10 पैसे से 10000 करोड़ तक का सफर इतना आसन नहीं थी. एक जीजिविषा थी, एक ललक थी, एक दुनिया थी जिसे कुछ दिखाना था
क्या कर लेते हैं हाथ वाले? (हाथ पसारने के अलावा)

ये सवा हाथ वाला आदमी बहुत कुछ सिखाता है
यूँ ही नहीं कोई भजियावाला, दारू किंग बन जाता है

पोंटी चड्ढा मरे नहीं है, पोंटी चड्ढा मरते नही हैं

गुरदीप सिंह चड्ढा उर्फ़ पोंटी चड्ढा किसने नाम नहीं सुना है इनका. सुराप्रेमी तो इनका नाम जरुर जानते होंगे
आज हम आपको बताएँगे गुरदीप सिंह चड्ढा उर्फ़ पोंटी चड्ढा टुंडे कैसे हुए (ऑय मीन अपने हाथ कैसे खोये)
इनका जन्म मुरादाबाद के एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था. जब पोंटी सिर्फ 10 साल का था भोला सा लल्ला था एकदम अभी तब की बात है. वो एक दिन पतंग उड़ा रहा था अब गरीब घर का बच्चा रिमोट वाला एयरोप्लेन तो उडाएगा नहीं

सिर्फ 10 पैसे की पतंग थी साहब 10 पैसे की.. उड़ते उड़ते उसकी पतंग उसके घर के सामने वाली बिजली की तार में फंस गयी. बड़ा मायूस हुआ बेचारा पोंटी लेकिन हमने पहले ही कहा है कि वो हार मानने वाला लड़का नहीं था. उठा और तुरंत एक आयरन रॉड उठाई, अपने एक दोस्त को लिया और चल दिया पतंग निकालने.

वो हाई वोल्टेज का तार और उसमे फंसी उसकी पतंग देखता रहा कुछ देर तक फिर रॉड उठाई और पतंग निकालने लगा (अब लोग कहेंगे कि आयरन रॉड से पतंग निकालने की क्या जरूरत थी? तो दोस्तों ये भारत सरकार का फैलियर था. 😀 😀 उसे शिक्षा नही मिली. गरीब पोंटी को भौतिक विज्ञान कौन पढाता भला? और अगर वो पढ़ाई करने जाता तो उसकी ठेलिया पर उसके बाप का हाथ कौन बंटाता? खैर छोडिये नीयति की यही मंजूर था शायद)

खब्बू था पोंटी बाएं हाथ से रॉड पकड़ी थी उसे कहाँ पता था कि ये उसके बाएं हाथ का अंतिम दिन है. बिजली ने झुलस दिया. दोस्त तो बेचारा वहीँ मर गया लेकिन पोंटी मरने वालों में नहीं था बायाँ हाथ तो खत्म था ही समझिये दाहिने हाथ की भी उँगलियाँ जल गयीं

How Ponty Chaddha Lost his Hand

सिर्फ 10 साल की उमर में इतना कुछ गंवाने के बाद भी वो भीख मांगने नहीं गया उसने लोगों से मदद की उम्मीद नहीं की. उसने खुद अपना रास्ता बनाया लोगों की प्यास बुझाई, ना जाने कितने पढ़े लिखे और काबिल लोगों को रोजगार दिया, सरकारें बनाई, बिल्डिंगे बनवाई, आज जबकि पढ़े लिखे लोग एक 2BHK फ्लैट बनाने में अपनी पूरी जिंदगी बिता देते हैं उसने ना जाने कितनी बिल्डिंग बनाई, वेव टावर्स, वेव सिनेमा. कभी आइये धरातल पर और देखिये उसकी ऊँचाई

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