Environmental Movements Awards Hindi (पर्यावरण से सम्बंधित संस्थाएं, आन्दोलन और पुरस्कार) इस पोस्ट में आपको भारत सरकार द्वारा संचालित पर्यावरण से सम्बंधित संस्थाएं, आन्दोलन और पुरस्कारों के बारे में जानकारी मिलेगी.
भारत की इकोमार्क योजना (Ecomark Scheme of India)
- भारत सरकार ने 1991 में ‘इको लेबलिंग योजना’ प्रारंभ की थी।
- इस योजना के अंतर्गत 16 उत्पाद श्रेणियों के लिए मापदंड की घोषणा की गई।
- इस योजना में उन उपभोक्ता वस्तुओं को इकोमार्क लेबल दिया जाता है, जो भारतीय मानकों के विशिष्ट पर्यावरण मापदंडों और गुणवत्ता पर खरा उतरते हैं।
- भारत की इकोमार्क योजना के लिए ‘मिट्टी के मटके’ को लोगों (चिह्न) के रूप में स्वीकार किया गया है।
- सर्वप्रथम जर्मनी ने 1978 ई. में ब्लू एन्जेल लेबलिंग प्रोग्राम के अंतर्गत अपने उत्पादों पर पर्यावरण लेवलिंग शुरू की थी।
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पर्यावरण से जुड़ी संस्थाएँ
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया (Worldwide Fund for Nature India)
- वर्ष 1969 में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया का आरंभ मुंबई में हुआ, परंतु बाद में इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित हो गया।
- यह पर्यावरण और विकास के मुद्दों पर कार्य करता है।
- विद्यालयी बच्चों के लिए भारतीय प्रकृति क्लब जैसे अनेक कार्यक्रम भी इसके द्वारा चलाए जाते हैं।
कल्पवृक्ष पूणे
यह उन संगठनों में से है, जो वर्ष 2003 में राष्ट्रीय जैव-विविधता रणनीति में शामिल था। यह विद्यालयों के अध्यापकों के लिए स्थल -विशिष्ट (Site Specific) पर्यावरण हस्त पुस्तिकाओं पर कार्य करता है।
विज्ञान और पर्यावरण केंद्र ,नई दिल्ली (Center for Science and Environment, New Delhi)
यह संस्था ‘डाउन टू अर्थ’ नाम से एक पत्रिका प्रकाशित करती है। पर्यावरण से संबंधित प्रकाशन करना, अभियान चलाना आदि इन केंद्र के कार्य हैं।
बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Botanical Survey of India)
इसकी स्थापना 1890 ई.में रॉयल बॉटनिकल गार्डेन, कोलकाता में हुई थी। इसके नौ-क्षेत्रीय केंद्र हैं। यह संस्था विभिन्न क्षेत्रों में वनस्पति संस्थानों का सर्वेक्षण करती है।
वाल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया, देहरादून (Wildlife Institute of India)
इस संस्था की स्थापना 1982 में की गई है ।इस संस्था के द्वारा वन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया, कोलकाता (Zoological Survey of India, Kolkata)
भारत के प्राणि जगत का सुव्यस्थित सर्वेक्षण करने वाली इस संस्था की स्थापना वर्ष 1916 में हुई थी। इस संस्था द्वारा प्रजातियों के नमूने जमा कर प्राणी जीवन का अध्ययन किया जाता है। वर्णिकी तथा पारिस्थितिकी पर अध्ययन इस संस्था के महत्वपूर्ण कार्य हैं।
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भारत में पर्यावरण से संबंधित आंदोलन (Environment Movement in India)
चिपको आंदोलन (Chipko Movement / Chipko Andolan)
- यह आंदोलन 1972 ई.में उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में गोपेश्वर नामक स्थान पर प्रारम्भ हुआ था।
- इसका शुरुवाती उद्देश्य वृक्षों की कटाई को बन्द करना था,लेकिन बाद में इसमें पर्यावरण के सभी आयामों को शामिल कर लिया गया।
- चिपको आंदोलन के जनक ‘सुंदरलाल बहुगुणा’ तथा ‘चण्डी प्रसाद भट्ट थे।
अप्पिको आंदोलन (Appiko Movement / Appiko Andolan)
- चिपको आंदोलन की तर्ज पर ही कर्नाटक में यह आंदोलन पांडुरंग हेगड़े के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ ।
- अप्पिको आंदोलन का मूल उद्देश्य वनारोपण, विकास तथा संरक्षण रहा है।
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नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan)
- यह आंदोलन वर्ष 1985 से ही मेधा पाटेकर के नेतृत्व में चलाया जा रहा है।
- इसका मूल उद्देश्य नर्मदा घाटी की जैव विविधता को बचाना तथा मूल आदिवासियों के सांस्कृतिक पर्यावरण की रक्षा है।
- अरुंधति राय और बाबा आम्टे भी इस आंदोलन से संबंधित है।
पर्यावरण से सम्बंधित पुरस्कार (Environment Awards)
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राजीव गाँधी वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार (Rajiv Gandhi Vanyajiv Sanrakshan Puraskar)
वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में दिए जाने वाला यह देश का सर्वोच्च पुरस्कार है। यह किसी व्यक्ति या संस्था को वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता हेतु प्रदान किया जाता है।
इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्षमित्र पुरस्कार (Indira Priyadarshini Vrikshamitra Award)
वर्ष 1986 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्षमित्र पुरस्कार को शुरू किया था। वनीकरण तथा परती भूमि के विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले व्यक्तियों या संगठनों को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
इन्दिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार (Indira Gandhi Environment Award)
वर्ष 1987 में प्रारम्भ हुआ यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखीय योगदान करने वाले संगठन या व्यक्ति को प्रतिवर्ष दिया जाता है। इसके अंतर्गत पाँच लाख रुपये, एक रजत ट्रॉफी और प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है।
महावृक्ष पुरस्कार (Mahavriksha Award / Mahavriksha Puraskar)
यह पुरस्कार राष्ट्रीय वनारोपण एवं पारिस्थितिकी विकास बोर्ड ने वर्ष 1993-94 में शुरू किया था।
प्रत्येक वर्ष क्षेत्र में अधिसूचित प्रजाति वृक्षों का रोपण करने वाले ऐसे व्यक्तियों या संगठनों को यह पुरस्कार दिया जाता है, जिनके वृक्षों का घेरा तथा लंबाई सबसे अधिक होती है।
अमृतादेवी विश्नोई वन्य संरक्षण पुरस्कार (Amrita Devi Bishnoi wildlife protection award)
वन्यजीवों के संरक्षण हेतु यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार जीवों के संरक्षण के प्रति साहस और अनुकरणीय योगदान को प्रदर्शित करता है।
चैंपियन ऑफ द अर्थ पुरस्कार (Champion of the Earth Award in Hindi)
यह पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा वर्ष 2004 से शुरू किया गया है। जिसका उद्देश्य विश्वभर के नीतिगत स्तर पर कार्य कर रहे पर्यावरण संरक्षको एवं नेतृत्वकर्ताओं को पहचान प्रदान करना है।
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