King Harshvardhan Life Hindi / सम्राट हर्षवर्धन का संक्षिप्त जीवन परिचय / Biography of Emperor Harsh Vardhan
हर्षवर्धन प्राचीन भारत का एक ऐसा राजा जिसने पंजाब को छोड़कर शेष समस्त उत्तर भारत में एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया. हर्षवर्धन के शासनकाल के बारे में जानकारी मगध से प्राप्त दो ताम्रपत्रों राज तरंगिणी चीनी यात्री के युवान् च्वांग के विवरण और हर्ष एवं बाणभट्टरचित संस्कृत काव्य ग्रंथों में मिलता है. हर्षवर्धन के पिता का नाम प्रभाकरवर्धन था. उस के बड़े भाई का नाम राज्यवर्धन और उसकी बड़ी बहन का नाम राज्यश्री था.
सम्राट हर्षवर्धन का संक्षिप्त जीवन परिचय
- हर्षवर्धन का कार्यकाल-(606 ई०-647 ई०)तक रहा.
- हर्षवर्धन प्रभाकरवर्धन का छोटा पुत्र तथा राज्यवर्धन बड़ा पुत्र था, हर्षवर्धन का जन्म लगभग 591 ई० को हुआ था.
- बड़े भाई राज्यवर्धन की मृत्यु के बाद हर्षवर्धन थानेश्वर के राजसिंहासन पर आसीन हुआ.
- राज्यारोहण के समय हर्ष के सम्मुख दो प्रमुख तात्कालिक समस्याएं आई थीं:
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गौड़ नरेश शशांक को मारकर बड़े भाई राज्यवर्धन की हत्या का बदला लेना
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अपनी बहन राज्यश्री का पता लगाना
- जिस समय हर्षवर्धन थानेश्वर के राजसिंहासन पर बैठा उस समय राज्य की स्थिति काफी संकटपूर्ण थी, क्योंकि गौड़ नरेश शशांक द्वारा उसके भाई का बध कर दिया गया था,और उसकी बहन राजश्री अपने प्राण बचाने के लिए अज्ञातवास को चली गई थी |
- हर्षवर्धन ने एक बौद्ध-भिक्षु मित्र ‘दिवाकर’ की सहायता से अपनी बहन राजश्री का पता लगाकर घर लाया. King Harshvardhan Life Hindi
- गौड़ नरेश शशांक ने हर्षवर्धन के कन्नौज आगमन की सुचना से,बिना युद्ध किये ही, कन्नौज खाली कर दिया. चूँकि कन्नौज नरेश गृहवर्मा के कोई पुत्र न होने के कारण कन्नौज के मंत्रियों ने हर्ष से कन्नौज के राजसिंहासन पर बैठने का आग्रह किया, किन्तु हर्ष ने अस्वीकार कर दिया.
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- हर्ष ने स्वयं को कन्नौज का ‘राजपुत्र’ कहा और अपनी बहन राजश्री को वहाँ की शासिका बनाया.
- चीनी स्रोतों से ज्ञात होता है कि-हर्ष एवं राजश्री दोनों साथ-साथ कन्नौज के सिंहासन पर बैठते थे. हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थनान्तरित कर ली थी, ताकि वह राजश्री को प्रशासनिक कार्यों में पूरी सहायता दे सके.
- हर्षवर्धन के कामरूप शासक भास्कर वर्मा से सन्धि करने के बाद गौड़ शासक शशांक के विरुद्ध एक बड़ी सेना भेजी और उसे परास्त कर दिया. दक्षिण में उसकी सेनाओं को 620 ई० में चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय ने नर्मदा के तट से पीछे खदेड़ दिया था | हर्षवर्धन अपने 40 वर्ष के लम्बे शासनकाल में निरन्तर युद्धों में संलग्न रहा | उसके द्वारा अंतिम युद्ध 643 ई० में गंजाम में लड़ने का उल्लेख मिलता है.
- हर्षवर्धन ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी, जिसकी सीमाएं हिमाच्छादित पर्वतों तक, दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक, पूर्व में गंजाम तथा पश्चिम में वल्लभी तक फैली थीं | उसके इस विशाल साम्राज्य की राजधानी ‘कन्नौज’ थी.
- हर्षवर्धन शिव और सूर्य की उपासना के साथ-साथ युद्ध की उपासना भी करता था | कालान्तर में उसका झुकाव महायान बौद्ध धर्म की ओर अधिक हो गया था.
- हर्षवर्धन ने अपने साम्राज्य में यात्रियों,दीन-दुखियों और रोगियों की सेवा-सुविधा के लिए स्थान-स्थान पर धर्मशालाएं ,चिकित्सालय और कुओं आदि का प्रबंध कर रखा था.
- हर्षवर्धन ने अपने राजदरबार में कादम्बरी और हर्षचरित के रचयिता बाणभट्ट, सुभाषितवलि के रचयिता मयूर और चीनी विद्वान् ह्वेनसांग को आश्रय प्रदान किया था.
- हर्षवर्धन एक उच्चकोटि का कवि भी था. उसने संस्कृत में नागानन्द,रत्नावली तथा प्रियदर्शिका नामक नाटकों की रचना की थी.
- हर्षवर्धन की मृत्यु 647 ई० में हुई थी. निःसन्तान होने के कारण, उसकी मृत्यु के साथ ही पुष्यभूति वंश का अंत हो गया.
- हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद उत्तरी-पश्चिमी भारत में राजपूतों के छोटे-छोटे राज्य स्थापित हो गये.
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