Delhi Oldest Temples Hindi दिल्ली के प्राचीन हिन्दू मंदिर (Delhi Oldest Hindu Temples)

Delhi Oldest Temples Hindi / दिल्ली के प्राचीन हिन्दू मंदिर / Delhi Oldest Hindu Temples

दिल्ली एक ऐसा शहर है जहाँ हर समुदाय के लोग भरे पड़े हैं चाहे वो हिन्दू हूँ, मुस्लिम हो, सिख हों या इसाई हों. यही वजह है कि यहाँ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च भी खूब सारे हैं. आज हम बात करने जा रहे हैं दिल्ली शहर के कुछ प्राचीन मन्दिरों के बारे में.

मुख्यतः मंदिरों की प्रसिद्धि उनकी प्राचीनता, स्थान की स्थिति, भव्यता, कामनापूर्ति या वरदायिनी शक्ति, किसी साधू संत की तपस्थली या किसी सेठ साहूकार के संरक्षण दिए जाने के कारण होती है. दिल्ली में हिन्दुओं के ऐसे अनेक मंदिर हैं

जोगमाया का मंदिर

अगर प्राचीनता की दृष्टि से देखा जाए तो ये दिल्ली का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है. इसकी स्थापना पांडवों के काल में हुई थी. योगमाया या योगकन्या श्रीकृष्ण की बहन थी जिसे कंस ने मारने की कोशिश की थी. Delhi Oldest Temples Hindi

समय समय पर इस मंदिर को हिन्दू राजाओं का संरक्षण मिलता रहा. यह मंदिर पृथ्वीराज के महल के नजदीक था. पृथ्वीराज रासो के अनुसार दिल्ली का नाम ही जोगिनिपुर या योगिनिपुर था. पृथ्वीराज रासो में चाँद बरदाई ने कई बार पृथ्वीराज को जोगिनिपुर का स्वामी (योगिनीपुरेश्वर) कहा है. यह मंदिर महरौली के निकट स्थित है

भैरव मंदिर

परंपरा के अनुसार भैरव को नगर, कोट या क्षेत्र का रक्षक माना जाता है और इसकी स्थापना सामान्यत: बीहड़ स्थान में देवी के मंदिर के निकट की जाती है. भैरव शिव का एक गण है जो शंकर का अवतार माना जाता है. यह शिव का उग्र रूप है जिसमे वह तांडव नृत्य करता है. पुरानो के अनुसार इनकी संख्या 8 मानी गयी है

दिल्ली में भी अष्टभैरव किसी ना किसी रूप में मिलते हैं

तीसहजारी के विश्राम भैरव, पचकुईया के काल भैरव, कूचा घासीराम का बाल भैरव, अशोक होटल के पास खापरा भैरव, पालम के पास उन्मत्त भैरव,नेहरु पार्क के पास का महाकाल भैरव तथा प्रगति मैदान के पास पुराने किले (पांडवों का किला) के पास दुधिया भैरव तथा काल भैरव स्थित है. इसे किलकारी भैरव भी कहते हैं.

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एक किंवदन्ती के अनुसार युधिष्ठिर के कहने पर भीम इसे माँ कालिका से मांग कर नगर रक्षा के लिए लाये थे यह इसी स्थान पर भीम के कंधे से उतरा और यहीं जम गया और अपने प्रताप से यह हजारों वर्षों से यहीं विराजमान है

गौरीशंकर मंदिर

चाँदनी चौक के गौरीशंकर मंदिर की कहानी अद्भुत है. इसे शिवालय अप्पा गंगाधर के नाम से जाना जाता है

शाहजहाँ के काल में अप्पा गंगाधर नाम का एक मराठा ब्राह्मण उसकी सेना में उच्च पद पर था. अब चूँकि वो ब्राह्मण था तो रोज पूजा करता था. उस काल में वर्तमान गौरीशंकर मंदिर के स्थान पर एक पीपल का पेड़ था. अप्पा गंगाधर वही एकांत में पीपल पेड़ के नीचे शिव पार्वती की पिंडी का पूजन कर लिया करते थे. धीरे धीरे अन्य हिन्दू सैनिक भी यहाँ जल चढाने लगे. Delhi Oldest Temples Hindi

एक बार अप्पा गंगाधर ने एक बड़ा युद्ध जीता. बादशाह ने मुँहमाँगा इनाम देने का वचन दिया. अप्पा गंगाधर ने इन पिंडियों के स्थान पर अपने आराध्य भगवान के लिए मंदिर निर्माण का प्रस्ताव रखा. भक्त की कल्पना साकार हुई और वही आज चाँदनी चौक का भव्य गौरीशंकर मंदिर है

प्राचीन हनुमान मंदिर

कनाट प्लेस का प्राचीन हनुमान मंदिर किसी समय खेतों के बीच बीहड़ स्थान में था. इसे स्वयंभू मूर्ति कहा जाता है. जनश्रुति के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास यहाँ अपने आराध्य के पास पधारे थे.

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एक अन्य श्रुति के अनुसार अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास को कोई चमत्कार दिखाने को कहा और अवज्ञा के कारण उन्हें जेल में बंद करवा दिया. उसी दिन बंदरों ने दिल्ली में भारी संख्या में प्रवेश कर उत्पात मचा दिया. अकबर ने इसे महात्मा का चमत्कार समझ कर मुक्त कर दिया. एक अनुमान के अनुसार यह मंदिर सन 1625-26 के आसपास बना. 

यह भी एक चमत्कार ही है कि बाद में अंग्रेजों ने दिल्ली में कनाट प्लेस पर भारी बदलाव किये लेकिन इस मंदिर को छुवा तक नहीं. यह मंदिर आज भी वहीँ का वहीँ स्थित है और हजारों की संख्या में रोजाना दर्शनार्थी आते हैं

यमुना तट का हनुमान मंदिर

यमुना तट यमुना बाजार या बेला रोड का हनुमान मंदिर दिल्ली के हजारों वर्षों के उत्थान पतन का साक्षी है. एक श्रुति के अनुसार महाभारत के युद्ध की समाप्ति पर जब अर्जुन का रथ कुरुक्षेत्र से इन्द्रप्रस्थ लौटा तो यही रुका. हनुमान अर्जुन के रथ से उतरकर यहीं स्थापित हुए

कालका मंदिर

कालका मंदिर का इतिहास भी बहुत पुराना है. यहाँ माँ काली की पूजा राय पिथौरा के काल से चली आ रही है लेकिन वर्तमान मंदिर का निर्माण 1764 ई में हुआ था. सन 1816 ई में अकबर द्वितीय के पेशकार मिर्जा राजा केदारनाथ ने मंदिर के बाहर 12 कमरों का निर्माण संपन्न कराया. मंदिर के मध्य भाग में देवी की पिंडी आकर की प्रतिमा है और बाहर द्वार पर 2 सिंह सुशोभित हैं.

स्थानीय मान्यता के अनुसार रक्षों का वध करके देवी यहाँ स्थिर हुई और क्षेत्र को अभयदान दिया. इसी मान्यता के अनुसार दिल्ली के किले पर विजय प्राप्त करने से पूर्व मराठा सरदार सदाशिवराव भाऊ ने 1760 ई में यहाँ लंगर डाल कर विजय के लिए पूजा की. Delhi Oldest Temples Hindi

कालान्तर में वैष्णव प्रभाव के कारण यह एक प्रकार से वैष्णवी देवी हैं क्योंकि अब यहाँ पर बलि नही दी जाती

चौमुख महादेव मंदिर

चावड़ी बाजार का चौमुख महादेव मंदिर कोई एक सदी पुराना है. व्यापारिक केंद्र में स्थित होने के कारण यहाँ भक्त सेठों का मोटा चढ़ावा आता रहता है

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