Venu lo gunje dhara (वेणु लो गूँजे धरा कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Venu lo gunje dhara, वेणु लो गूँजे धरा, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. वेणु लो, गूँजे धरा मेरे सलोने श्याम एशिया की गोपियों ने वेणि बाँधी है गूँजते हों गान,गिरते हों अमित अभिमान तारकों-सी नृत्य ने बारात साधी है। युग-धरा से दृग-धरा तक खींच मधुर लकीर उठ पड़े हैं चरण कितने लाड़ले … Read more

Sans ke prashnchinho likhi (साँस के प्रश्नचिन्हों लिखी स्वर-कथा)

Sans ke prashnchinho likhi, साँस के प्रश्नचिन्हों लिखी स्वर-कथा, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. साँस के प्रश्न-चिन्हों, लिखी स्वर-कथा क्या व्यथा में घुली, बावली हो गई! तारकों से मिली, चन्द्र को चूमती दूधिया चाँदनी साँवली हो गई! खेल खेली खुली, मंजरी से मिली यों कली बेकली की छटा हो गई वृक्ष की … Read more

Pyare bharat desh Kavita (प्यारे भारत देश कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Pyare bharat desh Kavita, प्यारे भारत देश, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. प्यारे भारत देश गगन-गगन तेरा यश फहरा पवन-पवन तेरा बल गहरा क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले चरण-चरण संचरण सुनहरा ओ ऋषियों के त्वेष प्यारे भारत देश।। वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी … Read more

Gali me garima ghol (गाली में गरिमा घोल-घोल कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Gali me garima ghol, गाली में गरिमा घोल-घोल, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. गाली में गरिमा घोल-घोल क्यों बढ़ा लिया यह नेह-तोल कितने मीठे, कितने प्यारे अर्पण के अनजाने विरोध कैसे नारद के भक्ति-सूत्र आ गये कुंज-वन शोध-शोध! हिल उठे झूलने भरे झोल गाली में गरिमा घोल-घोल। जब बेढंगे हो उठे द्वार … Read more

Is tarah dhakkan lagaya (इस तरह ढक्कन लगाया रात ने)- माखनलाल चतुर्वेदी

Is tarah dhakkan lagaya, इस तरह ढक्कन लगाया रात ने, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. इस तरह ढक्कन लगाया रात ने इस तरफ़ या उस तरफ़ कोई न झाँके। बुझ गया सूर्य बुझ गया चाँद, तस्र् ओट लिये गगन भागता है तारों की मोट लिये! आगे-पीछे,ऊपर-नीचे अग-जग में तुम हुए अकेले छोड़ … Read more

Ye vrikshon me uge parinde (ये वृक्षों में उगे परिन्दे कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Ye vrikshon me uge parinde, ये वृक्षों में उगे परिन्दे, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. ये वृक्षों में उगे परिन्दे पंखुड़ि-पंखुड़ि पंख लिये अग जग में अपनी सुगन्धित का दूर-पास विस्तार किये। झाँक रहे हैं नभ में किसको फिर अनगिनती पाँखों से जो न झाँक पाया संसृति-पथ कोटि-कोटि निज आँखों से। श्याम … Read more

Uth mahan Kavita (उठ महान कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Uth mahan Kavita, उठ महान, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. उठ महान ! तूने अपना स्वर यों क्यों बेंच दिया? प्रज्ञा दिग्वसना, कि प्राण् का पट क्यों खेंच दिया? वे गाये, अनगाये स्वर सब वे आये, बन आये वर सब जीत-जीत कर, हार गये से प्रलय बुद्धिबल के वे घर सब! तुम … Read more

Jeevan yah maulik mahmani (जीवन यह मौलिक महमानी)- माखनलाल चतुर्वेदी

Jeevan yah maulik mahmani, जीवन यह मौलिक महमानी, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. जीवन, यह मौलिक महमानी! खट्टा, मीठा, कटुक, केसला कितने रस, कैसी गुण-खानी हर अनुभूति अतृप्ति-दान में बन जाती है आँधी-पानी कितना दे देते हो दानी जीवन की बैठक में, कितने भरे इरादे दायें-बायें तानें रुकती नहीं भले ही मिन्नत … Read more

Madhur badal aur badal (मधुर बादल और बादल कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Madhur badal aur badal, मधुर बादल और बादल, और बादल, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. मधुर ! बादल, और बादल, और बादल आ रहे हैं और संदेशा तुम्हारा बह उठा है, ला रहे हैं।। गरज में पुरुषार्थ उठता, बरस में करुणा उतरती उग उठी हरीतिमा क्षण-क्षण नया श्रृंगार करती बूँद-बूँद मचल उठी … Read more

Samay ke samarth ashwa (समय के समर्थ अश्व कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Samay ke samarth ashwa, समय के समर्थ अश्व, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. समय के समर्थ अश्व मान लो आज बन्धु! चार पाँव ही चलो। छोड़ दो पहाड़ियाँ, उजाड़ियाँ तुम उठो कि गाँव-गाँव ही चलो।। रूप फूल का कि रंग पत्र का बढ़ चले कि धूप-छाँव ही चलो।। समय के समर्थ उश्व … Read more

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