Kya pujan kya archan re Kavita (क्या पूजन क्या अर्चन रे! कविता)- महादेवी वर्मा

Kya pujan kya archan re Kavita, क्या पूजन क्या अर्चन रे!, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. क्या पूजन क्या अर्चन रे! उस असीम का सुंदर मंदिर मेरा लघुतम जीवन रे! मेरी श्वासें करती रहतीं नित प्रिय का अभिनंदन रे! पद रज को धोने उमड़े आते लोचन में जल कण रे! अक्षत पुलकित … Read more

Adhikar Kavita (अधिकार कविता)- महादेवी वर्मा

Adhikar Kavita, अधिकार, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. वे मुस्काते फूल, नहीं जिनको आता है मुर्झाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना; वे नीलम के मेघ, नहीं जिनको है घुल जाने की चाह वह अनन्त रितुराज,नहीं जिसने देखी जाने की राह| वे सूने से नयन,नहीं जिनमें बनते आँसू … Read more

Deepak ab rajni Kavita (दीपक अब रजनी जाती रे कविता)- महादेवी वर्मा

Deepak ab rajni Kavita, दीपक अब रजनी जाती रे, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. दीपक अब रजनी जाती रे जिनके पाषाणी शापों के तूने जल जल बंध गलाए रंगों की मूठें तारों के खील वारती आज दिशाएँ तेरी खोई साँस विभा बन भू से नभ तक लहराती रे दीपक अब रजनी जाती … Read more

Jeevan deep Kavita (जीवन दीप कविता)- महादेवी वर्मा

Jeevan deep Kavita, जीवन दीप, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. किन उपकरणों का दीपक, किसका जलता है तेल? किसकि वर्त्ति, कौन करता इसका ज्वाला से मेल? शून्य काल के पुलिनों पर- जाकर चुपके से मौन, इसे बहा जाता लहरों में वह रहस्यमय कौन? Jeevan deep Kavita कुहरे सा धुँधला भविष्य है, है … Read more

Ur timirmay ghar timirmay Kavita (उर तिमिरमय घर तिमिरमय)- महादेवी वर्मा

Ur timirmay ghar timirmay Kavita, उर तिमिरमय घर तिमिरमय, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. उर तिमिरमय घर तिमिरमय चल सजनि दीपक बार ले! राह में रो रो गये हैं रात और विहान तेरे काँच से टूटे पड़े यह स्वप्न, भूलें, मान तेरे; फूलप्रिय पथ शूलमय पलकें बिछा सुकुमार ले! Ur timirmay ghar … Read more

Kisi ka deep Kavita (किसी का दीप निष्ठुर हूँ कविता)- महादेवी वर्मा

Kisi ka deep Kavita, किसी का दीप निष्ठुर हूँ, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. शलभ मैं शपमय वर हूँ! किसी का दीप निष्ठुर हूँ! ताज है जलती शिखा; चिनगारियाँ शृंगारमाला; ज्वाल अक्षय कोष सी अंगार मेरी रंगशाला ; नाश में जीवित किसी की साध सुन्दर हूँ! Kisi ka deep Kavita नयन में … Read more

Kya jalne ki reet Kavita (क्या जलने की रीत कविता)- महादेवी वर्मा

Kya jalne ki reet Kavita, क्या जलने की रीत, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. क्या जलने की रीति शलभ समझा दीपक जाना घेरे हैं बंदी दीपक को ज्वाला की वेला दीन शलभ भी दीप शिखा से सिर धुन धुन खेला इसको क्षण संताप भोर उसको भी बुझ जाना इसके झुलसे पंख धूम … Read more

Sajani kaun tam Kavita (सजनि कौन तम में परिचित सा कविता)- महादेवी वर्मा

Sajani kaun tam Kavita, सजनि कौन तम में परिचित सा, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. सजनि कौन तम में परिचित सा, सुधि सा, छाया सा, आता? सूने में सस्मित चितवन से जीवन-दीप जला जाता! छू स्मृतियों के बाल जगाता, मूक वेदनायें दुलराता, हृततंत्री में स्वर भर जाता, बंद दृगों में, चूम सजल … Read more

Ali ab sapne ki bat Kavita (अलि अब सपने की बात कविता)- महादेवी वर्मा

Ali ab sapne ki bat Kavita, अलि अब सपने की बात, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. अलि अब सपने की बात- हो गया है वह मधु का प्रात! जब मुरली का मृदु पंचम स्वर, कर जाता मन पुलकित अस्थिर, कम्पित हो उठता सुख से भर, नव लतिका सा गात! जब उनकी चितवन … Read more

Ve madhudin jinki smritiyon ke Kavita (वे मधुदिन जिनकी स्मृतियों की)

Ve madhudin jinki smritiyon ke Kavita, वे मधुदिन जिनकी स्मृतियों की, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. वे मधु दिन जिनकी स्मृतियों की धुँधली रेखायें खोईं, चमक उठेंगे इन्द्रधनुष से मेरे विस्मृति के घन में! झंझा की पहली नीरवता- सी नीरव मेरी साधें, भर देंगी उन्माद प्रलय का मानस की लघु कम्पन में! … Read more

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