An Inspirational Story IPS Officer / प्रेरणा की अनूठी मिसाल / 50 लाख की अमेरिकी नौकरी छोड़ कर बने आईपीएस, शुरू की बच्चों को शिक्षित करने की अनूठी मुहीम
आज की प्रेरक कहानी है संतोष कुमा मिश्रा जी की. संतोष कुमार मिश्रा एक ऐसा नवयुवक जो 50 लाख रूपये के पैकेज की अमेरिकी नौकरी छोड़ के भारत लौटा, आईपीएस बना और आज देश के नौनिहालों को पढ़ाने और समाज को सुधारने का बीड़ा उठाया हुआ है किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षित होना महत्वपूर्ण है लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है एक शिक्षित समाज और देश के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करना. कुछ लोगों का जीवन इतना प्रेरणादायी होता है कि लाखों लोगों को उससे प्रेरणा और शक्ति मिलती है और मनुष्य के जीवन में शिक्षा के इसी महत्व के कारण एक शिक्षक की भूमिका अति महत्पूर्ण हो जाती है. वो शिक्षक ही होता है जो वक्ती के अन्दर ऐसी शिक्षा की नींव डालता है जिसपे कि बुद्धिमता की एक भव्य इमारत खड़ी हो सके. यह भी कतई जरुरी नहीं कि विद्यालय में पढ़ाने वाला शिक्षक ही आपको ज्ञान दे सके कभी-कभी आम जीवन में एक राह चलता हुआ मनुष्य भी आपको बहुत कुछ सिखा जाता है. आज की कहानी भी उन्ही के बारे में है जो पेशे से शिक्षक तो नहीं हैं लेकिन वर्दी में रहते हुए भी पढ़ाना उनका पैशन है और वो इसे गौरवपूर्ण तरीके से बच्चों को शिक्षित करते हुए पूरा कर रहे हैं An Inspirational Story IPS Officer
प्रारम्भिक जीवन
संतोष कुमार मिश्रा पटना बिहार के रहने वाले हैं. उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. पिताजी पेशे से आर्मी अफसर थे तो बच्चे में देश सेवा की भावना आनी स्वाभाविक थी. इनकी पढ़ाई भी सामान्य तरीके से हुयी. पढ़ाई में बचपन से ही कुशाग्र थे. स्कूली पढ़ाई के बाद इन्होने पुणे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और वहीँ से यूरोप में इंजिनियर की नौकरी मिल गयी. वो चाहते तो अपना जीवन बहुत ऐशोआराम से विदेशों में बिता सकते थे. हालाँकि यूरोप की नौकरी के दौरान इन्होने अमेरिका का रुख भी किया और वहां 50 लाख सालाना की नौकरी करने लगे. लेकिन वो कहते हैं ना कि जब मन में कुछ अलग कर गुजरने कि चाहत हो तो वो आपको कहीं भी चैन से नहीं बठने देती जब तक कि आप उसे पा ना लें. ऐसा ही कुछ संतोष जी के साथ हुआ. कुछ समय बाद ही अमेरिका की नौकरी से इनका मन ऊब गया और 2011 में ये भारत वापस आ गए.
देश सेवा की ललक बचपन से ही इनके मन में थी सो आते ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी. आपको जानकार ताज्जुब होगा कि सालों पहले इंजीनियरिंग में पढ़ाई किया और इतने साल नौकरी किया हुआ युवक अपने पहले ही प्रयास में भारतीय पुलिस सेवा के लिए सेलेक्ट हो गया. अब इनके असली सफर की शुरुवात यहाँ से होती है
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छोड़ दी अमेरिका 50 लाख की नौकरी
संतोष कुमार मिश्रा जी बताते हैं कि “करीब 3 साल तक मैंने न्यूयॉर्क में 50 लाख सालाना के पैकेज पर काम किया लेकिन मुझे संतुष्टि कभी नहीं मिली. मैंने बचपन से ही पिता को आर्मी में देखा था और तब से मेरे दिल में देश सेवा की भावना थी और यही कर्ण था कि मैंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी और भारत आकर UPSC की तैयारी में जुट गया An Inspirational Story IPS Officer
बच्चों को पढ़ाने में है विशेष रूचि
संतोष कुमार जी उन अधिकारियों में से एक हैं जो अपने खाली समय को भी समाजोत्पाद्क कार्य में लगाना पसंद करते हैं. अपनी सरकारी नौकरी के बाद बचे हुए समय में बच्चो को पढ़ाने में इनकी विशेष रूचि है. अभी ये उत्तरप्रदेश के अम्बेडकरनगर में कार्यरत हैं और यहाँ ये विशेष ध्यान देते हैं कि रोजाना कुछ समय निकाल कर साधनहीन बच्चों को कुछ समय दे सकें और उनको पढ़ा सकें. उनको बच्चों को पढ़ाने में इस कदर रूचि है कि वो अक्सर अपने आसपास के विद्यालयों में जाकर बच्चों की कक्षाएं लेने लगते हैं. वो इस काम को अपनी नैतिक जिम्मेदारी के रूप में लेते हैं और कोशिश करते हैं कि अपने शिक्षण कार्य से ज्यादा से ज्यादा बच्चों को लाभान्वित कर सकें जिससे ये बच्चे आगे चलकर अपने देश का नाम रौशन करें An Inspirational Story IPS Officer
पाँचवी कक्षा के बच्चे से मिली प्रेरणा
संतोष कुमार जी बताते हैं कि “उन दिनों मैं अमरोहा जिले में तैनात था. एक दिन एक पाँचवी कक्षा के बच्चे ने आकर इनसे कहा कि उसका एक दोस्त पिछले 15 दिनों से स्कूल नहीं आ रहा है जिसके लिए वह चिंतित है. इन्होने उसकी बात पर विशेष ध्यान दिया और जाँच पड़ताल में पता चला कि वह छोटा बच्चा अपने पिता की मिठाई की दूकान पर उनका हाथ बंटा रहा है. इसके बाद ये स्वयं उस दूकान में पहुँचे और उसके पिता से मिले और उनके बच्चे को शिक्षित करने के महत्व के बारे में बताया. खैर उस लड़के के पिताजी समझ गए और वो बच्चा फिर से स्कूल आने लगा लेकिन इस एक घटना ने इनको पूरी तरह से बदल दिया. उस घटना से इनको बहुत प्रेरणा मिली और इन्होने समझा कि जब तक समाज के हर हिस्से तक शिक्षा की समुचित पहुँच नहीं होगी, देश का भविष्य निर्माण और समुचित उद्धार संभव नहीं है
ये कहते हैं कि कहीं परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण तो कहीं बच्चे-बच्चियों में भेदभाव के कारण शिक्षा की अलख हर बच्चे के जीवन में नहीं जग पाती. मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरे द्वारा किये जा रहे इस छोटे से प्रयास से शिक्षा की अलख हर वर्ग तक ना सिर्फ पहुंचेगी अपितु वह लम्बे समय तक अपना उजाला भी बिखेरती रहेगी
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